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चण्डीगढ़ (Chandigarh)हरियाणा

क्या सरकार के खिलाफ बोलने पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जा सकता है?-प्रदीप रापडिया

किसानों के ऊपर देस द्रोह में दर्ज केसों को लेकर गृह सचिव को लीगल नोटिस!

देशद्रोह का मुकदमा दर्ज, ये सुनने में बहुत बड़ा लगता है. हाल ही के दिनों में कई लोगों पर देशद्रोह

के मुकदमे दर्ज हुए हैं. ऐसे में ये चर्चा का विषय बन गया है कि क्या सरकार के खिलाफ बोलने पर

देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जा सकता है?-प्रदीप रापडिया

चंडीगढ़ : (ATAL HIND)
हरियाणा में किसानों पर दर्ज देशद्रोह का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है जहाँ पुलिस ने जहां इस मामले में केस वापस लेने से इंकार कर दिया है तो वहीं अब एक तरफ संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और किसान नेता राकेश टिकैत केस रद्द करवाने को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं, वहीँ दूसरी एडवोकेट प्रदीप रापडिया ने एक किसान संगठन हरियाणा प्रोग्रेसिव फार्मर यूनियन के तरफ से मुख्य सचिव को लीगल नोटिस भेजते हुए एफ.आई.आर. से देस द्रोह की धारा हटाने की माँग की है । ये धारा हटने के बाद किसानों की जमानत आसानी से हो सकती है ।

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के वकील प्रदीप रापडिया ने लीगल नोटिस में किसानों की तरफ से कहा है कि प्रदर्शन के लेकर किसी भी किसान के के ऊपर भी देशद्रोह का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता । ये असंवैधानिक है । उन्होंने कहा कि देश में राइट टू फ्रीडम एंड एक्सप्रेशन है, हर कोई अपनी बात कह सकता है. हर किसी को अपनी मांग मांगने का अधिकार है । ऐसे में प्रदर्शन के दौरान अगर किसी को चोट लग जाती है, तो पुलिस आईपीसी या फिर सीआरपीसी की धारा जोड़कर एफआईआर दर्ज कर सकती है, किसी भी तरीके से इसमें देशद्रोह की धारा नहीं जोड़ी जा सकती. लीगल नोटिस में में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश द्वारा की गई हाल ही टिप्पणी का भी हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने ने कहा था देस द्रोह का मुकदमा ब्रिटिश राज के दौरान इस्तेमाल किया जाता था । उस वक्त भारत को आजादी नहीं मिली थी. उस वक्त फ्रीडम मूवमेंट और महात्मा गांधी के खिलाफ इस तरह के मामले दर्ज किए थे । आज के समय में ये बहुत आम हो गया है । सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आजादी के इतने साल बाद भी क्या इस कानून की जरूरत है? लीगल नोटिस में कहा गया है कि ऐसा लगता है ये केस दर्ज करके पुलिस जैसे सुप्रीम कोर्ट की टिपण्णी का मखौल उड़ा रही हो ! लीगल नोटिस में कहा है कि अगर देस द्रोह की धारा को नहीं हटाया गया तो उन्हें न्यायलय की शरण लेनी पड़ेगी ।


गौरतलब है कि 11 जुलाई को हरियाणा के डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा की गाड़ी पर हमला किया गया था । डिप्टी स्पीकर की गाड़ी पर उस वक्त हमला हुआ था जब वो हरियाणा के सिरसा जिले में चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर लौट रहे थे । इस मामले में सिरसा पुलिस की ओर से दो नामजद और करीब 100 किसानों पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है । इसी को लेकर किसानों ने सिरसा में महापंचायत का आयोजन किया है ।
किसानों के वकील प्रदीप रापडिया ने बताया कि देशद्रोह कोई छोटा मोटा जुर्म नहीं होता. देश के साथ गद्दारी करना, देश की कोई सीक्रेट जानकारी अन्य देश को देना, देश में रहकर हिंसक आतंकी गतिविधियों में शामिल होना देशद्रोह में शामिल है । रापडिया के मुताबिक देशद्रोह के मामले तो बड़ी संख्या में दर्ज किए जाते हैं, लेकिन जब अदालतों में मामले की सुनवाई होती है, तो उस वक्त कोई पर्याप्त सबूत ना होने के कारण आरोपी बरी हो जाते हैं । इन मामलों में सजा बहुत कम हो पाती है, लेकिन इस धारा के लगने से आसानी से जमानत नहीं मिलती।

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