कैथल। नौच गांव में सोमवार सुबह बड़ा सड़क हादसा हो गया। इसमें बच्चों को स्कूल लेकर जा रही बस हांसी बुटाना नहर में गिर गई, जिससे बस में सवार चालक और परिचालक सहित नौ बच्चे नौच गांव निवासी चालक मंगा सिंह (33), पांचवीं कक्षा का छात्र मनप्रीत (11), छठी कक्षा की छात्रा हरकीरत सिंह (12), छठी कक्षा की छात्रा हरसिमरन (12), सातवीं कक्षा की छात्रा हरनूर (13), एलकेजी कक्षा का छात्र गुरनव (05), छठी कक्षा का शुभजीत (12), तीसरी कक्षा की कीर्ति (09) और परिचालक पलविंद्र (40) घायल हुए हैं। ।
तीन बच्चों को प्राथमिक उपचार के बाद वापस घर भेज दिया गया जबकि एक की हालत गंभीर बताई जाती है। इस हादसे में एलकेजी कक्षा के छात्र गुरनव को मुंह पर दो टांके आए हैं। छठी के शुभजीत, तीसरी कक्षा की कीर्ति व छठी की छात्रा हरकीरत सिंह को प्राथमिक उपचार देने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया जबकि अन्य चार बच्चों का निजी अस्पताल में इलाज जारी है।इस मामले में सादर थाना कैथल के प्रभारी मुकेश कुमार ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने मौके पर पहुंच जांच की थी।

बस चालक के अनुसार जब बस हांसी बुटाना लिंक नहर के पास बने कच्चे रास्ते से गुजर रही थी तभी स्टेयरिंग में गड़बड़ी आने से उसने काम करना बंद कर दिया। नहर किनारे कोई रेलिंग भी न होने के चलते बस नहर में जा गिरी। हालांकि गनीमत यह रही कि नहर में इस समय पानी नहीं होने से यह सूखी है। इस कारण बस में सवार चालक व बच्चों की जान बच गई। हादसे की सूचना मिलते ही क्योड़क चौकी पुलिस और डायल 112 की टीम मौके पर पहुंची। हादसे में घायल तीन बच्चों व परिचालक को प्राथमिक उपचार देने के बाद वापस घर भेज दिया गया है। बस चालक व अन्य चार बच्चों का शहर के शाह अस्पताल में इलाज चल रहा है।
वर्जन-
हांसी-बुटाना नहर (सुखी) में एक निजी स्कूल की बस के गिरने की सूचना मिली थी। बस में सवार सात बच्चों और ड्राइवर को मामूली चोटें आई हैं, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया। पुलिस व प्रशासन की टीमों ने घटना स्थल व अस्पताल का दौरा किया और बच्चों का हाल चाल जाना। हादसे के कारणों का पता लगाया जाएगा और बस की जांच की जाएगी।
प्रीति, डीसी, कैथल।
नहर की पटरी पर नहीं है रेलिंग
एसवाईएल और हांसी बुटाना नहर की पटरी पर कहीं भी रेलिंग नहीं है। इनकी पटरियों से ग्रामीणों का आना-जाना रहता है। रेलिंग नहीं होने के कारण कई बार दोपहिया वाहन भी नहर में गिर चुके हैं और बेसहारा पशुओं का गिरना तो प्रति दिन का काम है। गहरी होने के कारण पशु खुद से बाहर भी नहीं निकल पाते हैं।