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दिव्यांग पर बरसा कुत्तों के झुंड का कहर, तरावड़ी ओर नीलोखेड़ी में नही मिला ईलाज

A herd of dogs wreaked havoc on the disabled, no treatment was found in Tarawadi and Nilokhedi
A herd of dogs wreaked havoc on the disabled, no treatment was found in Tarawadi and Nilokhedi
दिव्यांग पर बरसा कुत्तों के झुंड का कहर, तरावड़ी ओर नीलोखेड़ी में नही मिला ईलाज
2000 कीमत खर्च कर खरीदने पड़ रहे मरीजों को एंटी रैबीज इंजेक्शन,  शहरवासियों में रोष
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तरावड़ी, 20 दिसम्बर (Atal Hind)। तरावड़ी शहर की जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एंटी रैबीज इंजेक्शन की कमी से जूझ रहा है। स्थिति यह है कि स्वास्थ्य केंद्र पर पिछले 4 महीने से कुत्ते के काटने के एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं है। इस वजह से तरावडी शहर के मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में कुत्ते के काटने के इंजेक्शन न मिलने से नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के मरीज बाजार से 400 से 500 रुपये ओर निजी मेडिकल स्टोर से ओर भी ज्यादा महंगे इंजेक्शन खरीद कर लगवाने के लिए विवश हो रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार लोगों का कहना है की इस संबंध में हम जिले से कई दफा इंजेक्शनों की मांग कर चुके हैं लेकिन इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं। इसके चलते मरीजों को महंगे दामों में इंजेक्शन खरीदना पड़ रहा है। नीलोखेड़ी विधानसभा क्षेत्र से वरिष्ठ नेता गौरव बख्शी ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तरावड़ी के हालात यह हैं कि ना तो यहां समय पर डॉक्टर मिलते हैं और ना ही मरीजों को उपचार।  स्वास्थ्य केंद्र पर पिछले कई महीनों से एंटी रैबीज इंजेक्शन नही हैं। यहां कुत्तों के काटने से पीड़ित मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं तो अस्पताल में इंजेक्शन मौजूद ना होने से मरीजों को बाजार के मेडिकल स्टोर से इंजेक्शन खरीद कर लगवाने पढ़ रहे हैं। जहां मरीज 400 रुपए कीमत के हिसाब से 5 इंजेक्शन 2 हजार रुपए में बाजार से खरीदने पर मजबूर हो रहे हैं लेकिन उनकी परेशानी को समझने वाला कोई नहीं हैं। ऐसे में यहां पर कुत्ते के काटे के इलाज के लिए आने वालों को वापस ही लौटना पड़ता है। जितनी तादाद में शहर और ग्रामीण अंचल में स्ट्रीट डाग हैं उससे रोजाना कई मरीज कुत्ते के काटने के इलाज के लिए आते हैं। यदि किसी मरीज को पांच इंजेक्शन लगने हैं तो उसमें से एक या दो लगने के बाद बाकी इंजेक्शन बाजार से खरीदने पड़ते हैं, क्योंकि स्टाक तब तक खत्म हो जाता है। स्टाफ और डाक्टरों के पास एक ही जवाब होता है कि पीछे से इंजेक्शन नहीं आ रहे हैं।A herd of dogs wreaked havoc on the disabled, no treatment was found in Tarawadi and Nilokhedi
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दिव्यांग पर बरसा कुत्तों के झुंड का कहर :- मंगलवार की सुबह तरावड़ी लाइब्रेरी में अपनी सेवाएं दे रहे मास्टर सतीश पंवार जब लाइब्रेरी के ही काम से नगरपालिका में जा रहे थे तो लाइब्रेरी के ही पास कुत्तों के झुंड ने मास्टर सतीश पंवार को नीचे गिरा दिया और उसे काट लिया। जिसके बाद उसे तरावड़ी ओर नीलोखेड़ी के सरकारी अस्पताल में इंजेक्शन नही लगे। यही नही तीन दिन पहले नगरपालिका के सफाई कर्मचारी बिट्टू को भी एक कुत्ते ने काट लिया, उसे भी इंजेक्शन बाहर से लगवाने पड़े।
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नीलोखेड़ी नागरिक अस्पताल में भी नही हैं उपलब्ध :-
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तरावड़ी की बात छोड़ दें तो नीलोखेड़ी के नागरिक अस्पताल केंद्र पर भी एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं है। यही वजह है कि प्राइवेट क्लीनिकों में मरीजों को इंजेक्शन लगवाने के लिए पांच बार आने जाने का किराया खर्च कर पूरा दिन बर्बाद करना पड़ रहा है। इसकी किसी भी अधिकारी को कोई परवाह नहीं है। स्वास्थ्य केंद्र तरावड़ी के एसएमओ डॉक्टर कॄष्णकांत ने बताया कि जिले में इंजेक्शन की डिमांड कर चुके हैं, लेकिन इंजेक्शन नहीं आए हैं।
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